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बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :215
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2699
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य

प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।

अथवा
अधिगम प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।
अथवा
सीखने को प्रभावित करने वाले तथ्यों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
प्रभावशाली सीखने के घटकों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर -

अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक

अधिगम को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का उल्लेख निम्नलिखित हैं

(A) अधिगमकर्ता से सम्बन्धित कारक

अधिगमकर्ता से सम्बन्धित कारकों का उल्लेख निम्नलिखित प्रकार किया गया है -

1. सीखने की इच्छा तथा आकांक्षा का स्तर - बालकों को नये ज्ञान की दिशा में प्रेरित करने से पहले यह जरूरी है कि उनमें सीखने के प्रति जिज्ञासा पैदा की जाये, क्योंकि जिज्ञासा उत्पन्न होने पर परिस्थितियों के प्रतिकूल होने पर भी बालक किसी भी बात को सीख लेने में सफल हो जाता है। सीखने की इच्छा के अतिरिक्त, छात्रों का आकांक्षा का स्तर भी उच्च कोटि का होना चाहिए जिससे बालक कठिनतम ज्ञान को भी सरलता से प्राप्त कर सकें। .

2. शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य - सीखने से पहले, बालक शारीरिक एवं मानसिक रूप में स्वस्थ हो यह आवश्यक है, क्योंकि बालक का ध्यान, रुचि एवं नियमितता पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है। किसी भी प्रकार की मानसिक विकृति, शारीरिक रुग्णता तथा मानसिक तनाव का प्रत्यक्ष प्रभाव बालकों के अधिगम पर प्रतिकूल पड़ता है। शारीरिक एवं मानसिक रूप से अस्वस्थ बालक शीघ्र ही थकान का अनुभव करने लगते हैं।

3. सीखने की अवधि - विद्यालयों के समय चक्र पर ध्यान नहीं दिया जाता है। यही कारण है कि ऐसे विद्यालयों में पहुँचने पर प्रातः के समय में छात्र जिस उत्साह व तत्परता से सीखते हैं उतना मध्याह्न या अन्तिम घण्टों में नहीं। अतः शिक्षालयों में घण्टों की व्यवस्था इस प्रकार की जानी चाहिए, जिनसे छात्रों को पर्याप्त विश्राम मिलता रहे और समस्त कालांशों में वे समान रूप से परिश्रम कर सकें।

4. परिपक्वता - अधिगम छात्रों की आयु, रुचि व स्तर के अनुकूल होना चाहिए इसके अतिरिक्त, मानसिक एवं शारीरिक दृष्टि से बालकों के परिपक्व न होने की दशा में बालक समुचित रूप से अधिगम नहीं कर सकते, जिससे शिक्षक की क्षमता एवं समय बेकार हो जाता है।

5. अभिप्रेरणा - अधिगम प्रक्रिया में अभिप्रेरणा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अभिप्रेरणा द्वारा ही सीखने की गति को तीव्र किया जा सकता है। प्रेरणा प्राप्त होने पर बालक उत्साहित होकर किसी भी बात को रुचिपूर्वक सीखते हैं तथा इसके द्वारा जटिल पाठ को सहज, बोधगम्य एवं रुचिकर बनाया जा सकता है।

6. अधिगम विधि - अधिगम विधि सीखने को अत्यधिक प्रभावित करती है। अधिगम विधि के माध्यम से ही बालक को वांछित अधिगम कराया जा सकता है। यदि चयनित अधिगम विधि, स्तर के अनुकूल तथा रुचिप्रद नहीं है तो ऐसी स्थिति में सीखना अत्यन्त कठिन एवं नीरस हो जाता है। बालकों को सक्रिय रखने वाली रुचिकर अधिगम विधियों का चयन शिक्षक को करना चाहिए।

7. समुचित वातावरण - छात्र की सीखने की प्रक्रिया पर शिक्षालय के वातावरण का गहरा प्रभाव पड़ता है। शान्त माहौल में बालक अपने ध्यान को पाठ पर शीघ्र ही केन्द्रित कर लेता है इसके अतिरिक्त, कक्षा में बैठने की समुचित व्यवस्था, प्रकाश एवं वायु का भी सीखने पर प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही शिक्षालय में पुस्तकों, सहायक सामग्री इत्यादि की मी समुचित व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि इनका भी बालकों के अधिगम पर प्रभाव पड़ता है।

8. वंशानुक्रम - बालकों में निहित अनेक गुण एव क्षमतायें, उनके वंशानुक्रम पर निर्भर करतीं हैं। बालकों के अधिगम पर इन वंशानुक्रम की विशेषताओं का गहरा प्रभाव पड़ता है।

9. विषय-वस्तु - अधिगम प्रक्रिया पर अधिगम की जाने वाली विषय-वस्तु का भी प्रभाव पड़ता है। शिक्षा का महत्वपूर्ण अंग पाठ्यक्रम होता है। विषय-वस्तु के विभिन्न तत्वों जैसे- स्तर, भाषा, संगठन आदि का किसी-न-किसी रूप में अधिगम पर अवश्य प्रभाव पड़ता है, इसीलिये जरूरी है कि विषय- वस्तु उद्देश्यपूर्ण जीवन से सम्बद्ध, बोधगम्य, क्रमबद्ध, रुचिकर एवं बालकों के अनुकूल हो।

10. अभ्यास एवं प्रशिक्षण - बालकों को अभ्यास हेतु कार्य दिये जाने पर ही अधिगम प्रक्रिया में विकास होता है। अधिगम में बालक को प्रशिक्षण प्रदान किये जाने पर वह किसी कार्य को अतिशीघ्र सीख जाता है।

11. बुद्धि - एक अन्य महत्वपूर्ण कारक बुद्धि है। तीव्र बुद्धि वाला बालक, मन्द बुद्धि बालक की तुलना में किसी भी कार्य को जल्दी सीख जाता है। बुद्धि एवं शैक्षिक लब्धि के मध्य उच्च स्तर का सकारात्मक सहसम्बन्ध पाया जाता है।

12. शिक्षक की भूमिका - शिक्षक के लिये यह नितान्त आवश्यक है कि शिक्षण में उसे मनोविज्ञान, उचित शिक्षण विधियों एवं व्यक्तिगत विभिन्नताओं का उचित ज्ञान हो।

 

(B) अध्यापक से सम्बन्धित कारक

अध्यापक से सम्बन्धित प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं -

1. विषय का ज्ञान - किसी भी अध्यापक के लिए अपने विषय का पूर्ण ज्ञान होना आवश्यक है। ज्ञान विहीन शिक्षक न तो छात्रों से सम्मान व आदार प्राप्त कर सकता है और न ही उनके मस्तिष्क का विकास कर सकता है। पूर्ण ज्ञान होने पर ही शिक्षक आत्म-विश्वासपूर्वक बालकों को नवीन ज्ञान प्रदान करते हुए उनके मस्तिष्क का विकास कर सकता है।

2. मनोविज्ञान एवं बाल प्रकृति का ज्ञान - अध्यापक को शिक्षण से सम्बन्धित मनोविज्ञान का ज्ञान होना भी नितान्त आवश्यक है। मनोविज्ञान का ज्ञान होने पर ही अध्यापक, अपने शिक्षण को सफल बना सकते हैं। इसके अतिरिक्त शिक्षक को बालक की प्रकृति का भी ज्ञान होना चाहिए।

3. बाल-केन्द्रित शिक्षा पर बल - आज बाल-केन्द्रित शिक्षा का समय है। अतः शिक्षक के लिए यह आवश्यक है कि वह छात्रों को जो भी ज्ञान प्रदान करे, वह उनकी रुचि स्तर के अनुकूल होना चाहिए।

4. व्यक्तिगत विभिन्नताओं का ज्ञान - अध्यापक को व्यक्तिगत विभिन्नताओं की जानकारी होनी आवश्यक है। मनोविज्ञान के कारण आज शिक्षा के क्षेत्र में व्यक्तिगत विभिन्नताओं को महत्व प्रदान किया जा रहा है। इसलिए आज बालक की रुचि, अभिरुचि, योग्यता, क्षमता इत्यादि को ध्यान में रखकर ही उन्हें शिक्षा प्रदान की जाती है।

5. शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य - शारीरिक एवं मानसिक दृष्टि से स्वस्थ होने पर ही शिक्षक, विषय पर बालकों का ध्यान केन्द्रित कर उचित प्रकार से पढ़ा सकता है।

6. शिक्षण-पद्धति - अधिगम प्रक्रिया में शिक्षण-पद्धति की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। समस्त बालकों को एक ही शिक्षण विधि से नहीं पढ़ाया जा सकता है, क्योंकि प्रत्येक छात्र, दूसरे छात्र से भिन्न होता है। इसलिए शिक्षक द्वारा प्रयुक्त की जाने वाली शिक्षण पद्धति अधिक प्रभावी एवं वैज्ञानिक होनी चाहिए तभी अधिगम की प्रक्रिया सफल हो सकती है।

7. व्यक्तित्व - शिक्षक का व्यक्तित्व सफल शिक्षण के लिए आवश्यक है, उत्तम शिक्षक का व्यक्तित्व प्रभावी होता है। प्रभावी व्यक्तित्व का अर्थ यह है कि उत्तम अध्यापक आत्म-विश्वासी एवं दृढ़ इच्छाशक्ति वाला चरित्रवान् कर्त्तव्यनिष्ठ एवं निरोगी होना चाहिए। उसके इस व्यक्तित्व का प्रभाव बालकों पर इतना अधिक पड़ता है कि उसकी समग्र रुचियाँ व अभिरुचियाँ ही बालकों की रुचियाँ व अभिरुचियाँ बन जाती हैं।

8. व्यावसाय के प्रति निष्ठा - व्यवसाय के प्रति निष्ठा भी अधिगम की प्रक्रिया को प्रभावित करती है और विषय में रुचि पैदा करती है। अतः शिक्षक को अपना कार्य उत्साह व लगन से करना चाहिये।

9. पढ़ाने की इच्छा - पाठ को पढ़ाने की इच्छा होने पर ही शिक्षक किसी पाठ को रुचिपूर्वक पढ़ा सकता है और छात्रों में भी पढ़ने के प्रति रुचि विकसित कर सकता है।

10. अध्यापक का व्यवहार - यदि शिक्षक का व्यवहार समस्त छात्रों के साथ समान एवं सहयोगी, सहानुभूतिपूर्वक है तो छात्र भली प्रकार से पाठ को सीख लेंगे। इसके विपरीत शिक्षक का व्यवहार उचित न होने पर छात्रों में शिक्षक के प्रति गलत धारणा बन जायेगी जो अधिगम में अत्यन्त बाधक सिद्ध होगी। इसके अलावा कुछ अन्य कारण भी हैं जो सीखने को प्रभावित करते हैं जैसे- वातावरण का ज्ञान, पाठ योजना, पाठ्य सहगामी क्रियाओं का आयोजन, अनुशासनं इत्यादि।

(C) विषय-वस्तु से सम्बन्धित कारक

विषय से सम्बन्धित अधिगम को प्रभावित करने वाले निम्नलिखित कारक हैं जो इस प्रकार हैं -

1. विषय-वस्तु की प्रकृति एवं आकार - विषय-वस्तु की प्रकृति एवं आकार का अधिगम प्रक्रिया पर गहन प्रभाव पड़ता है। विषय-वस्तु के कठिन होने पर बालकों को अधिगम में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसके विपरीत यदि विषय-वस्तु सरल है तो उसे बालक सहजता के साथ सीख लेते हैं। छोटे पाठों को बालक, बड़े पाठों की तुलना में कम समय में याद कर लेते हैं।

2. विषय-वस्तु के प्रस्तुतीकरण का ढंग - सीखी जाने वाली विषय-वस्तु उद्देश्ययुक्त होने पर बालक उसे सहजता से सीख लेते हैं। सरल से कठिन की ओर शिक्षण सूत्र का प्रयोग करते हुये यदि विषय-वस्तु को प्रस्तुत किया जाता है तो छात्र कठिन विषय-वस्तु को भी सरलता से सीख लेते हैं।

3. भाषा शैली - सीखने की प्रक्रिया में भाषा-शैली की प्रमुख भूमिका होती है। सरल भाषा अधिगम में सहायक होती है और कठिन शब्दों का प्रयोग एवं लम्बे वाक्य अधिगम में कठिनाई पैदा करते हैं।

4. भिन्न-भिन्न विषयों का कठिनाई स्तर - यह भी एक अत्यन्त महत्वपूर्ण कारक है। प्रत्येक विषय का कठिनाई स्तर अलग-अलग होता है। इसलिए सभी शिक्षार्थी समान रूप से किसी विषय वस्तु को सीख पाने में सक्षम नहीं होते हैं।

5. विषय-वस्तु का रुचिकर होना - विषय-वस्तु रुचिकर होने पर छात्र रुचि लेकर उसे पढ़ते हैं, इसके विपरीत यदि विषय-वस्तु अरुचिकर है तो छात्र पढ़ने में रुचि नहीं लेंगे। परिणामस्वरूप अधिगम ' की प्रक्रिया अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पायेगी।

6. सहायक सामग्री का उपयोग - सीखने की प्रक्रिया में सहायक सामग्री की भी प्रमुख भूमिका है। सहायक सामग्री की सहायता से जटिल विषय को भी सरल बनाया जा सकता है।

(D) वातावरण से सम्बन्धित कारक

अधिगम को प्रभावित करने वाले वातावरण सम्बन्धित कारक इस प्रकार हैं-

1. वंशानुक्रम - बालकों में अनेक गुण उनके वंशानुक्रम के कारण होते हैं। बालकों के अधिगम पर वंशानुक्रम की इन विशेषताओं का गहन प्रभाव पड़ता हैं। बालक में निहित लगभग 80% योग्यतायें एवं क्षमतायें उसके वंशानुक्रम की विशेषताओं का ही परिणाम होती हैं। वंशानुक्रम, अर्जित बालक की मानसिक विकृतियाँ, बुद्धि आदि का उसके सीखने की प्रक्रिया से प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है।

2. शिक्षा के औपचारिक साधन - शिक्षा के माध्यम दो प्रकार के होते हैं-

(i) औपचारिक साधन
(ii) अनौपचारिक साधन।

इन दोनों प्रकार के साधनों का बालकों के अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।

3. पारिवारिक वातावरण - पारिवारिक वातावरण का बालक के अधिगम पर प्रभाव पड़ता है। जिन परिवारों का वातावरण उत्तम होता है, उन परिवारों के बालक पढ़ाई में रुचि लेते हैं और कठिन पाठ को भी सरलता से सीख लेते हैं। इसके विपरीत जिन परिवारों का वातावरण अच्छा नहीं होता है, उन परिवारों के बालकों की अधिगम की गति अत्यन्त मन्द होती है।

4. सामाजिक एवं सांस्कृतिक वातावरण - छात्रों के अधिगम पर उसके सामाजिक एवं सांस्कृतिक वातावरण का भी प्रभाव पड़ता है। सामान्यतः सांस्कृतिक वातावरण का अर्थ उन समस्त नियमों, विचारों, विश्वासों एवं भौतिक वस्तुओं की पूर्णता से है जो उनके जीवन को प्रभावित करते हैं। सांस्कृतिक वातावरण मानवीयकृत होते हुये भी मानवीयता एवं सामाजिक विकास तथा बालक के अधिगम को सबसे अधिक प्रभावित करता है।

5. भौतिक वातावरण - भौतिक वातावरण के अन्तर्गत तापमान, प्रकाश, वायु, कोलाहल शान्ति इत्यादि का प्रमुख स्थान है। अतः कक्षा का भौतिक वातावरण उपयुक्त न होने पर छात्र शीघ्र ही थकान अनुभव करने लगेगें और सीखने में उनकी अरुचि उत्पन्न होने लगेगी।

6. मनोवैज्ञानिक वातावरण - अधिगम की प्रक्रिया पर मनोवैज्ञानिक वातावरण का भी प्रभाव पड़ता है। छात्रों में परस्पर सद्भाव मधुर सम्बन्ध हैं तो अधिगम की प्रक्रिया सुचारु रूप से आगे बढ़ती है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ बताइये एवं इसकी प्रकृति को संक्षेप में स्पष्ट कीजिये।
  2. प्रश्न- मनोविज्ञान और शिक्षा के सम्बन्ध का विवेचन कीजिये और बताइये कि मनोविज्ञान ने शिक्षा सिद्धान्त और व्यवहार में किस प्रकार की क्रान्ति की है?
  3. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान की भूमिका या महत्त्व बताइये।
  4. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। शिक्षक प्रशिक्षण में इसकी सम्बद्धता क्या है?
  5. प्रश्न- वृद्धि और विकास से आपका क्या अभिप्राय है? विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- वृद्धि और विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  7. प्रश्न- वृद्धि और विकास को परिभाषित करें तथा वृद्धि एवं विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  8. प्रश्न- बाल विकास के प्रमुख तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- विकास से आपका क्या अभिप्राय है? बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन- कौन-सी हैं? विवेचना कीजिए।
  10. प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन के महत्त्व को समझाइये।
  11. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
  12. प्रश्न- मनोविज्ञान एवं अधिगमकर्त्ता के सम्बन्ध की विवेचना कीजिये।
  13. प्रश्न- शैक्षिक सिद्धान्त व शैक्षिक प्रक्रिया के लिये शैक्षिक मनोविज्ञान का क्या महत्त्व है?
  14. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र स्पष्ट कीजिये।
  15. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के कार्यों को स्पष्ट कीजिये।
  16. प्रश्न- मनोविज्ञान की विभिन्न परिभाषाओं को स्पष्ट कीजिये।
  17. प्रश्न- वृद्धि का अर्थ एवं प्रकृति स्पष्ट कीजिए।
  18. प्रश्न- अभिवृद्धि तथा विकास से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
  19. प्रश्न- विकास का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- वृद्धि तथा विकास के नियमों का शिक्षा में महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
  21. प्रश्न- बालक के सम्बन्ध में विकास की अवधारणा क्या है? समझाइये |
  22. प्रश्न- विकास के सामान्य सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  23. प्रश्न- अभिवृद्धि एवं विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  24. प्रश्न- बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? उल्लेख कीजिए।
  25. प्रश्न- बाल विकास में वंशानुक्रम का क्या योगदान है?
  26. प्रश्न- शैशवावस्था क्या है? इसकी प्रमुख विशेषतायें बताइये। इस अवस्था में शिक्षा किस प्रकार की होनी चाहिये।
  27. प्रश्न- शैशवावस्था की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
  28. प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु को किस प्रकार की शिक्षा दी जानी चाहिये?
  29. प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है? बाल्यावस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  30. प्रश्न- बाल्यावस्था में शिक्षा का स्वरूप कैसा होना चाहिए? स्पष्ट कीजिए।
  31. प्रश्न- 'बाल्यावस्था के विकासात्मक कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  32. प्रश्न- किशोरावस्था से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था के विकास के सिद्धान्त की. विवेचना कीजिए।
  33. प्रश्न- किशोरावस्था की मुख्य विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  34. प्रश्न- किशोरावस्था में शिक्षा के स्वरूप की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  35. प्रश्न- जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- शैशवावस्था की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
  37. प्रश्न- जीन पियाजे के विकास की अवस्थाओं के सिद्धांत को समझाइये |
  38. प्रश्न- कोहलर के प्रयोग की विशेषताएँ लिखिए।
  39. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक मनोविज्ञान एवं मानव विकास)
  40. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (मानव वृद्धि एवं विकास )
  41. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (व्यक्तिगत भिन्नता )
  42. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैशवावस्था, बाल्यावस्था एवं किशोरावस्था )
  43. प्रश्न- सीखने की संकल्पना को समझाइए। 'सूझ' सीखने में किस प्रकार सहायता करती है?
  44. प्रश्न- अधिगम की प्रकृति को समझाइए।
  45. प्रश्न- सीखने की प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं?
  46. प्रश्न- सूझ सीखने में किस प्रकार सहायता करती है?
  47. प्रश्न- 'प्रयत्न एवं त्रुटि' तथा 'सूझ' द्वारा सीखने में भेद कीजिए।
  48. प्रश्न- अधिगम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  49. प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।
  50. प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के प्रयोग का उल्लेख कीजिए और बताइये कि इस प्रयोग द्वारा निकाले गये निष्कर्ष, शिक्षण कार्य को कहाँ तक सहायता पहुँचाते हैं?
  51. प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के सिद्धान्त के प्रयोग का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के सिद्धान्त का शिक्षा में उपयोग बताइये।
  53. प्रश्न- शिक्षण में प्रयत्न तथा भूल द्वारा सीखने के सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिये।
  54. प्रश्न- 'अनुबन्धन' से क्या अभिप्राय है? पावलॉव के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को नियंत्रित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
  56. प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं?
  57. प्रश्न- अनुकूलित अनुक्रिया से आप क्या समझते हैं? इस सिद्धान्त का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
  58. प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  59. प्रश्न- स्किनर का सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त क्या है? उल्लेख कीजिए।
  60. प्रश्न- स्किनर के सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- पुनर्बलन का क्या अर्थ है? इसके प्रकार बताइये।
  62. प्रश्न- पुनर्बलन की सारणियाँ वर्गीकृत कीजिए।
  63. प्रश्न- सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया. सिद्धान्त अथवा पुर्नबलन का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
  64. प्रश्न- अधिगम के गेस्टाल्ट सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए और इस सिद्धान्त के सबल तथा दुर्बल पक्ष की विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- समग्राकृति पूर्णकारवाद की विशेषतायें बताइये।
  66. प्रश्न- कोहलर के प्रयोग की विशेषताएँ लिखिए।
  67. प्रश्न- अन्तर्दृष्टि तथा सूझ के सिद्धान्त से सीखने की क्या विशेषताएँ हैं।
  68. प्रश्न- पूर्णकारवाद के नियम को स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- अन्तर्दृष्टि को प्रभावित करने वाले कारक एवं शिक्षा में प्रयोग बताइये।'
  70. प्रश्न- अन्तर्दृष्टि सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  71. प्रश्न- रॉबर्ट मिल्स गेग्ने का जीवन-परिचय दीजिए तथा इनके द्वारा बताये गये सिद्धान्त का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- गेग्ने के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- गेग्ने के योगदान को संक्षेप में बताइये।
  74. प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर अभिप्रेरणा का अर्थ स्पष्ट करते हुए अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।।
  75. प्रश्न- अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं? उल्लेख कीजिये।
  77. प्रश्न- अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है? अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  78. प्रश्न- अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  79. प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल प्रवृत्ति सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  80. प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  81. प्रश्न- अभिप्रेरणा का उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धान्त को समझाइये |
  82. प्रश्न- शैक्षिक दृष्टि से अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है?
  83. प्रश्न- आवश्यकता चालन एवं उद्दीपन के सम्बन्ध की व्याख्या कीजिए।
  84. प्रश्न- कक्षा शिक्षण में पुरस्कार या प्रोत्साहन की क्या आवश्यकता है?
  85. प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण क्या है? अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइये।
  86. प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइए।
  87. प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण से क्या तात्पर्य है? अधिगम स्थानान्तरण को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण की दशाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  89. प्रश्न- अधिगमान्तरण के विभिन्न सिद्धान्तों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  90. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अधिगम )
  91. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अभिप्रेरणा )
  92. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अधिगम का स्थानान्तरण )
  93. प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर बुद्धि का अर्थ स्पष्ट करते हुये बुद्धि की प्रकृति या स्वरूप तथा उसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
  94. प्रश्न- बुद्धि की प्रकृति एवं स्वरूप का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- बुद्धि की विशेषताओं को समझाइये।
  96. प्रश्न- बुद्धि परीक्षा के विभिन्न प्रकार कौन-से हैं? वैयक्तिक व सामूहिक बुद्धि परीक्षा की तुलना कीजिये।
  97. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
  98. प्रश्न- शाब्दिक व अशाब्दिक तथा उपलब्धि परीक्षण को स्पष्ट कीजिये।
  99. प्रश्न- वाचिक अथवा अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण से क्या अभिप्राय है? उल्लेख कीजिये।
  100. प्रश्न- स्टैनफोर्ड बिने क्या है?
  101. प्रश्न- बर्ट द्वारा संशोधित बुद्धि परीक्षण को बताइये।
  102. प्रश्न- अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण के प्रकार बताइये।
  103. प्रश्न- वाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षण कौन-से हैं?
  104. प्रश्न- अवाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षणों का वर्णन कीजिये।
  105. प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  106. प्रश्न- सृजनात्मकता से क्या तात्पर्य है? इसके स्वरूप तथा प्रकृति की विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- सृजनात्मक की परिभाषाएँ बताइए।
  108. प्रश्न- सृजनात्मकता के स्वरूप बताइए।
  109. प्रश्न- सृजनात्मकता से आप क्या समझते हैं? अपने शिक्षण को अधिक सृजनशील बनाने हेतु आप क्या करेंगे? विवेचना कीजिए।
  110. प्रश्न- सृजनात्मकता की परिभाषा दीजिए तथा सृजनात्मक छात्रों का पता लगाने की विधि स्पष्ट कीजिए।
  111. प्रश्न- सृजनात्मकता एवं समस्या समाधान पर टिप्पणी लिखिए।
  112. प्रश्न- कक्षा वातावरण किस प्रकार विद्यार्थियों की सृजनात्मकता के विकास को प्रभावित करता है? सृजनात्मकता को विकसित करने हेतु आप ब्रेनस्टार्मिंग का प्रयोग कैसे करेंगे?
  113. प्रश्न- गिलफोर्ड के त्रिआयामी बुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  114. प्रश्न- समूह कारक या संघसत्तात्मक सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  115. प्रश्न- बुद्धि के बहु-प्रकारीय सिद्धान्त की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
  116. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (बुद्धि एवं सृजनात्मकता )
  117. प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? उनका निर्धारण कैसे होता है? व्यक्तित्व की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  118. प्रश्न- व्यक्तित्व के लक्षणों की स्पष्ट व्याख्या कीजिए।
  119. प्रश्न- व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-कौन हैं?
  120. प्रश्न- व्यक्तित्व के जैविक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  121. प्रश्न- व्यक्तित्व के विभिन्न उपागमों या सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  122. प्रश्न- समूह चर्चा से आपका क्या अभिप्राय है? समूह चर्चा के उद्देश्य एवं मान्यताएँ स्पष्ट कीजिए।
  123. प्रश्न- व्यक्तित्व मूल्यांकन की प्रश्नावली विधि को समझाइए।
  124. प्रश्न- व्यक्तित्वं मूल्यांकन की अवलोकन विधि से आप क्या समझते हैं?
  125. प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ बताइए तथा छात्रों की मानसिक अस्वस्थता के क्या कारण हैं? शिक्षक उन्हें दूर करने में उनकी सहायता कैसे कर सकता है?
  126. प्रश्न- बालकों के मानसिक अस्वस्थता के क्या कारण हैं?
  127. प्रश्न- बालकों के मानसिक स्वास्थ्य में उन्नति के उपाय बताइये।
  128. प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के विचार को स्पष्ट कीजिए। विद्यालय की परिस्थितियाँ शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
  129. प्रश्न- विद्यालय की परिस्थितियाँ शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
  130. प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ स्पष्ट कीजिए। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति में कौन-सी विशेषता होती है?
  131. प्रश्न- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति में कौन-कौन-सी विशेषताएँ होती हैं?
  132. प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य के उपायों पर प्रकाश डालिए।
  133. प्रश्न- कौन-कौन से कारक मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं और शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा रखने के उपाय बताइए।
  134. प्रश्न- शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के उपाय बताइये।
  135. प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य के प्रमुख तत्व बताइये।
  136. प्रश्न- शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को उन्नत करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं?
  137. प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य का महत्व बताइये।
  138. प्रश्न- बालक के मानसिक स्वास्थ्य के विकास में विद्यालय की क्या भूमिका होती है?
  139. प्रश्न- बालक के मानसिक स्वास्थ्य में उसके कुटम्ब का क्या योगदान है?-
  140. प्रश्न- मानसिक स्वास्थ्य के नियमों की विवेचना कीजिए।
  141. प्रश्न- मानसिक स्वच्छता क्या है?
  142. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (व्यक्तित्व )
  143. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (मानसिक स्वास्थ्य)

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